अब बेटी नही
उन हैवानी नज़रों से
वो पर्दा बेहिसाब करती है,
वो मुसलमान तो नही,
फिर भी हिजाब करती है।
वह भगवान भी यह सोच कर सहम जाता होगा।
उसने तो केवल इंसानियत सिखाई,
फिर लोगो मे यह हैवानियत कहाँ से आई।
लुटेरा अगर है आज़ाद तो गलती सबकी है,
लूटी है एक बेटी तो लूटी इज़्ज़त सबकी है,
बने इंसान पहले, बाद में बात आती मज़हब की है,
लाडो मिलकर इन दरिंदो से,
ये भारत माता सबकी है।